इस गली से आगे एक पथ ढूँढा है
वहां हरी भरी घांस के बीच सदा बहार के फूल मुस्काते हैं
सूर्य की लाली से जहां आकाश चमक जाता है
सूर्य की लाली से जहां आकाश चमक जाता है
चिड़ियों की चहचाहट से जहाँ सुबह गाती है
इस गली से आगे एक पथ ढूँढा है
जहाँ वृक्षों की शायं शायं मधुर ध्वनि सुनाती है.
जहाँ कोमल हवा हृदय को शीतल कर जाती है
जहाँ पखेरू स्वतंत्र आकाश में उड़ पाते हैं
जहाँ पथ के कोनों पर सिर्फ फूल नज़र आते हैं
इस गली से आगे एक पथ ढूँढा है
चलो छोड़ चलें इस गली को जहां
धुंए की कालिख दृष्टि को धुंधलाती है
अँधेरी गलियों में रोज़ ठोकर लग जाती है
फूलों की जगह जहां उपकरण दर्शाते हैं
पखेरू जहाँ कीटों में नज़र आते हैं
शोर जहां सरगम कहलाता है
चलो छोड़ चलें इस गली को
इस गली से आगे एक पथ ढूँढा है
छोटे छोटे कदमो से धीरे धीरे ओस पर पाँव रखना
धीमी सांस से रूह तक फूलों की महक भरना
चिड़ियों की ध्वनि से मन को तृप्त करना
वृक्षों की सांय सांय से देव वाणी ग्रहण करना
मद्धम शीतल हवा से रुख को सहलाना
इस गली से आगे एक पथ ढूँढा है
सब को एक साथ चलना होगा
कदम कदम माप कर रुख को बदलना होगा
हर कुषा को संभाल समेट सहलाना होगा
हर फूल को उसकी रंगत में बहलाना होगा
हर वृक्ष से नवजीवन को उद्दरण करना होगा
हर झोंके में नया स्वास भरना होगा
हर पखेरू के स्वर को बहार बनाना होगा
हर ओस की बूँद को सागर बनाना होगा
हमें बच्चों के लिए इस पथ पर नया संसार बनाना होगा
इस गली से आगे एक पथ ढूँढा है
आज इस गली से आगे निकल हमें जाना होगा
हमें अब पीढ़ियों के लिए यह पथ अपनाना होगा
धरती को पुन: स्वर्ग बनाना होगा
इस गली से आगे एक पथ ढूँढा है