सोमवार, 25 अक्तूबर 2010

नव पथ

इस गली से आगे एक पथ ढूँढा  है
वहां हरी  भरी घांस  के बीच सदा बहार के फूल  मुस्काते हैं 
सूर्य की लाली से जहां आकाश चमक जाता   है 
चिड़ियों की चहचाहट से जहाँ सुबह गाती  है 

इस गली से आगे एक पथ ढूँढा  है

जहाँ वृक्षों की  शायं शायं मधुर ध्वनि सुनाती है.
जहाँ कोमल हवा हृदय  को शीतल कर जाती है 
जहाँ पखेरू स्वतंत्र आकाश में उड़ पाते  हैं 
जहाँ पथ के कोनों पर सिर्फ फूल नज़र आते हैं

इस गली से आगे एक पथ ढूँढा  है

चलो छोड़ चलें इस गली को जहां 
धुंए की कालिख दृष्टि को धुंधलाती है 
अँधेरी गलियों में रोज़ ठोकर लग जाती है 
फूलों की जगह  जहां  उपकरण दर्शाते हैं 
पखेरू जहाँ कीटों में नज़र आते हैं 
शोर जहां सरगम कहलाता है
चलो छोड़ चलें इस गली को 

इस गली से आगे एक पथ ढूँढा  है

छोटे छोटे कदमो से धीरे धीरे ओस पर पाँव रखना
धीमी सांस से रूह तक फूलों की महक भरना
चिड़ियों  की ध्वनि  से मन को तृप्त करना 
वृक्षों की सांय सांय से  देव वाणी ग्रहण करना 
मद्धम शीतल हवा से रुख को सहलाना

इस गली से आगे एक पथ ढूँढा  है

सब  को एक साथ चलना होगा 
कदम कदम माप कर रुख को बदलना होगा

हर कुषा को संभाल समेट सहलाना होगा
हर फूल को उसकी रंगत में बहलाना होगा
हर वृक्ष से नवजीवन को उद्दरण करना होगा 
हर झोंके में नया  स्वास भरना होगा 
हर पखेरू के स्वर को बहार बनाना होगा
हर ओस की बूँद को सागर बनाना होगा 
हमें  बच्चों  के लिए इस  पथ पर नया संसार बनाना होगा 

इस गली से आगे एक पथ ढूँढा है

आज इस गली से आगे निकल हमें जाना होगा
हमें अब पीढ़ियों के लिए यह पथ अपनाना होगा
धरती  को पुन: स्वर्ग बनाना होगा 
इस गली से आगे एक पथ ढूँढा  है

मंगलवार, 12 अक्तूबर 2010

इम्तिहान

ज़िन्दगी  हर  कदम  एक  इम्तिहान  है 
हर लम्हा एक जंग
हर वक़्त एक खोज
हर दिन एक नयी पहचान है
ज़िन्दगी  हर  कदम  एक  इम्तिहान  है 

गुरुवार, 7 अक्तूबर 2010

कभी तन्हाई में सुकून ढूंढते हैं
कभी काफिला बना लेते हैं
कभी महफ़िल में मिलेगी तस्सली
तो कभी जाम उठा लेते हैं
कभी अफताब को समझते हैं तेरा चेहरा
और कभी महताब सजा लेते हैं
जिगर को चैन जब कहीं नहीं मिलता
हम तेरी याद बुला लेते हैं.